घर की हवा ही बिगाड़ रही है दिमागी संतुलन

घर की हवा ही बिगाड़ रही है दिमागी संतुलन

सेहतराग टीम

क्लाइमेट चेंज का असर सिर्फ वातावरण पर ही नहीं बल्कि अब हमारी सेहत पर भी पड़ने लगा है। क्लाइमेंट चेंज के बुरे प्रभावों पर हुई एक स्टडी में यह बात सामने आयी है कि वातावरण में बढ़ता कार्बन डाईऑक्साइड (CO2) का स्तर हमारी सोचने और समझने की क्षमता धीरे-धीरे कम कर रहा है। स्टडी में ये भी कहा गया है कि मानव की बढ़ती गतिविधियों के कारण कार्बन डाइऑक्साइड समेत कई हानिकारक गैसों का स्तर लगातार बढ़ रहा है।

वातावरण की तुलना में कमरे में CO2 का स्तर ज्यादा-

स्टडी में कहा गया है कि CO2 के असर से व्यक्ति को किसी चीज पर फोकस करने में परेशानी होती है। विशेषज्ञों का कहना है कि बाहर के वातावरण के मुकाबले हमारे कमरों में CO2 का स्तर ज्यादा होता है। वेंटिलेशन के जरिए भी इसे कम नहीं किया जा सकता। कई जगहों जैसे- स्कूल, ऑफिस और अस्पतालों में ज्यादा लोग होते हैं और ज्यादा मात्रा में यह गैस होती है। स्टडी में यहां तक कहा गया है कि इंसान खुद कार्बन डाइऑक्साइड पैदा करने वाली मशीन है।

सही फैसला लेने की क्षमता हो जाएगी आधी-

इससे पहले साल 2016 की एक रिसर्च में दावा किया गया था कि जब कमरों में CO2 का स्तर 945 पार्ट्स प्रति मिलियन तक पहुंचता है तो वहां मौजूद लोगों की सोचने-समझने की क्षमता 15 फीसदी तक कम हो जाती है। 1400 पार्ट्स प्रति मिलियन के स्तर पर यह क्षमता 50 फीसदी तक खत्म हो जाती है। वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि ये खतरनाक गैसें बढ़ती रहीं तो इस सदी के आखिर तक सही फैसले लेने की हमारी क्षमता लगभग आधी हो जाएगी।

(साभार- नवभारत टाइम्स)

 

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